Prahlad and Holika: भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली न केवल रंगों का त्योहार है बल्कि इसके पीछे एक गहरी पौराणिक कथा भी छुपी है। यह कथा भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद और उसकी बुआ होलिका की है। इस कहानी में अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष तथा धर्म की विजय का संदेश छुपा है। यह कथा मुख्यतः विष्णु पुराण में वर्णित है और हमें धर्म, भक्ति, और सत्य की विजय का महत्वपूर्ण संदेश देती है।
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कौन थे प्रह्लाद? (Prahlad and Holika Story)
प्रह्लाद दैत्यराज हिरण्यकशिपु के पुत्र थे। हालांकि उनके पिता भगवान विष्णु के घोर शत्रु थे, लेकिन प्रह्लाद स्वयं विष्णु के अनन्य भक्त थे। बाल्यकाल से ही वे धर्म के मार्ग पर चलते रहे, जिससे उनके पिता बेहद नाराज रहते थे।
हिरण्यकशिपु का अहंकार और वरदान (Prahlad and Holika Story)
हिरण्यकशिपु, एक शक्तिशाली असुर राजा, ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की और उनसे वरदान प्राप्त किया कि वह न तो दिन में मरेगा, न रात में; न पृथ्वी पर, न आकाश में; न मानव द्वारा, न पशु द्वारा; न अस्त्र से, न शस्त्र से। इस वरदान के कारण वह स्वयं को अमर समझने लगा और देवताओं के प्रति शत्रुता रखते हुए, स्वयं को भगवान मानने लगा। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया और सभी से अपनी पूजा करने का आदेश दिया।
प्रह्लाद की भक्ति (Prahlad and Holika Story)

हिरण्यकशिपु का पुत्र, प्रह्लाद, बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। अपने पिता के आदेशों के विपरीत, वह निरंतर विष्णु की भक्ति में लीन रहता था। प्रह्लाद की इस भक्ति से हिरण्यकशिपु क्रोधित हो गया और उसने अपने पुत्र को विष्णु की भक्ति छोड़ने के लिए अनेक प्रयास किए, लेकिन प्रह्लाद अडिग रहा।
हिरण्यकशिपु का क्रोध और होलिका की योजना (Prahlad and Holika Story)
हिरण्यकशिपु ने कई प्रयास किए कि प्रह्लाद विष्णु की भक्ति छोड़ दें, लेकिन प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए। जब हिरण्यकशिपु को कोई उपाय नहीं सूझा, तो उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को एक वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती। इस वरदान का उपयोग करके उसने प्रह्लाद को आग में बैठाकर मारने की योजना बनाई।
प्रह्लाद को मारने के प्रयास (Prahlad and Holika Story)
हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए:
- विष पिलाना: प्रह्लाद को विष दिया गया, लेकिन वह विष का असर नहीं हुआ।
- तलवार से प्रहार: उस पर तलवार से हमला किया गया, लेकिन वह सुरक्षित रहा।
- विषधरों के सामने छोड़ना: उसे जहरीले सांपों के बीच डाला गया, लेकिन सांपों ने उसे नुकसान नहीं पहुंचाया।
- हाथियों के पैरों तले कुचलवाना: उसे हाथियों के पैरों तले कुचलवाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह बच गया।
- पर्वत से नीचे फेंकना: उसे ऊंचे पर्वत से नीचे गिराया गया, लेकिन वह सुरक्षित रहा।
हर बार, भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच जाता था।
होलिका का वरदान और योजना (Prahlad and Holika Story)

हिरण्यकशिपु की बहन, होलिका, को वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। इस वरदान का उपयोग करके, हिरण्यकशिपु ने योजना बनाई कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठेगी, जिससे प्रह्लाद जलकर मर जाएगा। होलिका ने ऐसा ही किया और प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई।
कैसे बच गए प्रह्लाद? (Prahlad and Holika Story)
होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका स्वयं जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इसका कारण यह था कि होलिका ने वरदान का दुरुपयोग किया था, जो अधर्म था। इस घटना से यह संदेश मिलता है कि असत्य और अन्याय की हमेशा हार होती है, जबकि सच्ची भक्ति और धर्म की विजय होती है।
होलिका का दहन और प्रह्लाद की रक्षा
भगवान विष्णु की कृपा से, होलिका का वरदान निष्फल हो गया। होलिका स्वयं आग में जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित रहा। यह घटना दर्शाती है कि अधर्म और अहंकार का अंत निश्चित है, जबकि सच्ची भक्ति और धर्म की हमेशा विजय होती है।
होलिका दहन की परंपरा
इस घटना की स्मृति में, होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। लोग लकड़ी और उपलों का ढेर बनाकर उसे जलाते हैं, जो होलिका के अंत और प्रह्लाद की विजय का प्रतीक होता है।
रोचक तथ्य
- प्रह्लाद का नाम ‘विष्णु पुराण’ और ‘भागवत पुराण’ में प्रमुख रूप से मिलता है।
- होलिका दहन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
- यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जिसे हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य संस्कृतियों में भी महत्व दिया जाता है।
- होली का नाम ‘होलिका’ से लिया गया है।
निष्कर्ष
प्रह्लाद और होलिका (Prahlad and Holika) की यह कथा हमें सिखाती है कि सत्य, धर्म, और भक्ति की सदा विजय होती है। होली का पर्व हमें बुराई को त्यागने और प्रेम, सद्भावना, और रंगों की खुशी मनाने का संदेश देता है।
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