By Desh Ki Khabare
5 जून 2024 को, सुनीता विलियम्स (Sunita Williams Space Missions) और बुच विल्मोर ने बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल से केप कैनवेरल से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए प्रस्थान किया। यह मिशन मूल रूप से 8 दिनों का था
लॉन्च के बाद, स्टारलाइनर कैप्सूल में हीलियम रिसाव और वेग में कमी जैसी तकनीकी समस्याएँ सामने आईं। इन खामियों के कारण, सुनीता और विल्मोर को ISS पर अपनी निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहना पड़ा।
बोइंग स्टारलाइनर की समस्याओं के मद्देनजर, नासा ने स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के माध्यम से सुनीता और विल्मोर की वापसी की योजना बनाई। यह निर्णय उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया।
18 मार्च 2025 को, भारतीय समयानुसार सुबह 10:35 बजे, ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने ISS से अनडॉक किया। इसके बाद, लगभग 17 घंटे की यात्रा के बाद, 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे, यान ने फ्लोरिडा के तट के पास अटलांटिक महासागर में सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन किया।
मूल रूप से 8 दिनों के लिए निर्धारित यह मिशन तकनीकी समस्याओं के कारण लगभग 9 महीने लंबा हो गया। इस अवधि में, सुनीता और विल्मोर ने ISS पर 150 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया, जिससे अंतरिक्ष अनुसंधान को नई दिशा मिली।
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर पर कई प्रभाव पड़ते हैं। सुनीता विलियम्स (Sunita Williams Space Missions) के शरीर में हर सेकेंड 30 लाख लाल रक्त कोशिकाएँ नष्ट हो रही थीं, जिससे एनीमिया का खतरा बढ़ता है।
लंबे समय तक एकांतवास और अनिश्चितता तनाव, चिंता और अवसाद का कारण बन सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां उनकी दिनचर्या का ध्यान रखती हैं, परिवार से बात करवाती हैं, और मनोरंजक गतिविधियाँ प्रदान करती हैं।
कॉस्मिक विकिरण से लंबी अवधि तक संपर्क से प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। अंतरिक्ष यात्रियों को संक्रमण और घाव भरने में धीमी गति का खतरा हो सकता है। इसके अतिरिक्त, हृदय संबंधी बीमारियों और कुछ कैंसरों का जोखिम भी बढ़ सकता है।